1979 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सोनभद्र के दुद्धी तहसील के अमवार इलाके में एक बांध बनाने का प्रस्ताव बनाया। जिसमें सिंचाई के साथ लोगो की प्यास बुझ सके। नारायण दत्त तिवारी की सरकार में सिंचाई मंत्री रहे लोकपति त्रिपाठी के प्रयास से इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिली थी। तब यह इलाका मिर्जापुर जिले का हिस्सा था। जब यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ तब इसका बजट 27 करोड़ था और समय 10 साल तय हुई थी। लेकिन कांग्रेस की सरकार जाते ही इसका काम ठप पड़ गया।
उसके बाद बाद यूपी की कमान कई अन्य पार्टियों के हाथों में रही लेकिन कनहर बांध अपने अंजाम तक नही पहुंच पाया। 2012 मे प्रदेश की सपा सरकार में सिंचाई मंत्री रहे शिवपाल यादव ने इस प्रोजेक्ट में गम्भीरता दिखाई तो कनहर परियोजनाओं से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान भी हुआ और काम आगे बढ़ा। लेकिन कनहर परियोजना को लेकर पार्टी में अंतर्विरोध शुरू हो गया। जिसके कारण अधिकारी बेलगाम हो गए और नियत समय पर काम पूरा नही हो सका। कनहर परियोजना पिछले 43 सालों से राजनीतिक आजमाइश का अखाड़ा बन चुका था। इन 43 सालों में कुछ बदला तो वह थी यूपी की सत्ता और कनहर परियोजना में लगे शिलापट्ट और बजट । 27 करोड़ की यह परियोजना 43 सालों में बढ़कर 3700 करोड़ हो गयी।
इस महत्वपूर्ण सिचाई परियोजना को पूरा होते देखने की आस में लोगो की आंखे पथरा गयी थी । कनहर परियोजना लोगो को इम्पॉसिबल लगने लगा। 2017 में फिर सत्ता बदली। इस बार बारी थी योगी आदित्यनाथ की। प्रदेश की तस्वीर बदलने वाली योगी की छवि को जनता समझ चुकी थी उन्हें भरोसा होने लगा था कि जल्द ही कुछ बेहतर होगा तो इधर योगी भी कनहर के खेल को समझ चुके थे। योगी ने अपने पहले कार्यकाल में कनहर परियोजना को लेकर एक हाई लेवल की मीटिंग बुलाई और अफसरों से दो टूक में कहा बजट बताओ और डेट बताओ ?
सीएम के सख्त तेवर को देखते हुए अफसर राइट टाइम हो गए। कनहर परियोजना की मॉनिटरिंग के लिए सीएम ने जल शक्ति मंत्री स्वतन्त्र देव सिंह को लगाया और साथ ही डीएम सोनभद्र को भी काम पूरा करने का टारगेट दिया। कनहर के अफसरों ने साल 2023 के जून तक यानी बरसात शुरू होने से पहले काम पूरा होने का समय लिया। इसी बीच 2022 मे सत्ता फिर बदली और योगी एक बार फिर सीएम बने। योगी के सीएम बनते ही अफसरों को समझ मे आ गया कि अब कोई बहाना नही चलेगा।
आज उसी का नतीजा है कि लगभग 43 साल बाद अमृतकाल में अमवार का कनहर बांध न सिर्फ बनकर तैयार हो गया बल्कि बांध में भरपूर पानी भी आ गया है। जिसके बाद बांध के कई फाटक को खोलने पड़े हैं। कभी यहां के लोग खेतों की सिंचाई के लिए आसमान की तरफ टकटकी लगाए रहते थे और खेती के लिए पूरी तरह से भगवान भरोसे रहा करते थे मगर आज कनहर बांध का पानी किसानों के खेतों तक पहुंचने लगा है ।
कनहर बांध का निरीक्षण करने पहुंचे जिलाधिकारी के चेहरे पर खुशी साफ नजर आ रही थी । निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने बांध के अधिकारियों के साथ सभी पहलुओं की जानकारी ली। जिलाधिकारी ने कहा कि जिस उद्देश्य के साथ इस परियोजना की नींव रखी गयी थी निश्चित तौर पर वह अब पूरा होगा । जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि कभी यह क्षेत्र काफी पिछड़ा होने के साथ पानी की किल्लत से जूझता था लेकिन अब यहां के किसानों को पानी के लिए तरसना नहीं पड़ेगा । 43 साल के लंबे इंतजार के बाद इस परियोजना के पूरा होने से जनता के साथ साथ अधिकारियों ने भी राहत की सांस ली।
बहरहाल भले ही कनहर बांध को बनने में चार दशक से ज्यादा का वक्त लग गया हो । मगर अब इसका लाभ पूरे इलाके के लोगों को मिलेगा । जिससे न सिर्फ उनका जीवन में खुशियां लौटेंगी बल्कि उनका जीवन स्तर भी ऊंचा उठेगा । वही अमृत काल मे हम लोग स्वतंत्रतता की 76 वी वर्षगांठ मना रहे है और सही मायने में यह कहा जा सकता है कि अमृत काल में इन इलाको के लोगों को वास्तव में आजादी मिली।